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आने वाला समय भारतीय खुदरा बाज़ार के लिए दुश्वारी भरा होगा

सरोकार
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लोकतंत्र में यदि संसंद किसी जन विरोधी नीति को मुहर लगा दे तो जनता शायद कुछ नहीं कर सकती। वर्तमान में खुदरा क्षेत्र में ऍफ़ डी आई पर हुई बहस ने यह साबित कर दिया है। बी एस पी, जो इस मुद्दे पर सदन में अनुपस्थित रही, उन्होंने ही रिलायंस को उत्तरप्रदेश में स्टोर खोलने से रोक दिया था। एक बिग बाज़ार या विशाल या फिर रिलायंस स्टोर से यदि पचास नजदीकी छोटे दुकानों की बिक्री बंद हो जाती है या कम हो जाती है तो और बड़े प्लेयर क्या कर सकते हैं, इसका अनुमान लगाना कठिन नहीं है।

ग़ाज़ियाबाद के इंदिरापुरम कालोनी में दो किलोमीटर के दायरे में लगभग दस छोटे बड़े मॉल हैं और सभी मॉल में एक दो रिटेल प्लेयर हैं एंकर के तौर पर। पिछले दिनों उनके दवाब के कारण कालोनी में लगने वाले साप्ताहिक हाट लगाने पर रोक लग गई थी लेकिन लोगों के भरी विरोध के बाद यह टल सका। ऍफ़ डी आई आने के बाद शायद यह संभव हो जाए। अभी भारत के रिटेल में जैसी घुसपैठ चीन के सामानों की हो गई है, वह और बढ़ेगी ही, कम नहीं होगी। कई विनिर्माण क्षेत्र जिसे खिलौने, रेडीमेड कपडे, बल्ब, इलेक्ट्रोनिक आइटमों में भारत के छोटे और मझौले उद्यम या तो बंद हो गए हैं या रुग्ण। इसके लिए नीति नियंताओं को भागीरथ पैलेस बाज़ार, चावडी बाज़ार और देश के अन्य थोक बाज़ारों में जाना चाहिए। निर्माण कम्पनियाँ अब इम्प्रोटर भर रह गई हैं। बेरोज़गारी बढ़ी है। वालमार्ट जैसे खिलाडी के आने के बाद उनकी सोर्सिंग भारत से होगी यह दिवास्वप्न भर है। जब अभी भारतीय कंपनिया यहाँ से सोर्स नहीं कर रही हैं तो कल कैसे होगा यह, समझ से परे है।

जो लोग वालमार्ट जैसे रिटेल जायंट से देश में बेरोज़गारी कम होने और कीमत घटने की बात कर रहे हैं, उनके लिए एक ताज़ा जानकारी यह है कि वालमार्ट के कर्मचारी शोषण के खिलाफ सड़क पर उतर गये हैं. बहुत पुरानी घटना नहीं है यह। 23 नवम्बर 2012 को अमेरिका के पचास से अधिक स्टोरों पर वालमार्ट के कर्मचारी हड़ताल पर गए हैं, क्योंकि कंपनी अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन, ओवर टाइम, भत्ते नहीं देता है, अधिकारों की बात करने पर सीधे छटनी करता है।

आने वाला समय भारतीय खुदरा बाज़ार के लिए दुश्वारी भरा होगा। छोटे व्यापारी जो आज स्वाबलंबी हैं वे कल रिटेल स्टोर के मैनेजर भर होंगे।

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